Will the Indian Army be able to defeat the Pakistani Army in 7 to 10 days as Modi ji says? क्या भारतीय सेना पाकिस्तानी सेना को 7 से 10 दिन में हरा पाएगी जैसा मोदी जी कहते हैं?
Will the Indian Army be able to defeat the Pakistani Army in 7 to 10 days as Modi ji says?

भारत ने 65 एवं 71 में पाकिस्तान को हराया, और 1980 से 1982 के बीच पाकिस्तान को हर समय यह अंदेशा बना रहता था कि, भारत किसी भी समय पाकिस्तान पर हमला कर सकता है। सेना को इस तरह के निर्देश थे कि यदि भारतीय सैनिक उन्हें उकसाते है या सीमा उलंघन करते है तो वे धैर्य से काम ले। क्योंकि तब भारत पाकिस्तान पर हमला करने का बहाना देख रहा था।
वजह यह थी कि, तब तक भारत की सेना पाकिस्तान के मुकाबले में ज्यादा आत्मनिर्भर ( आत्मनिर्भर को 5-10 पढ़ें ) थी। भारत परमाणु बम बना चुका था, एवं हम खुद के हथियार बनाने के दिशा में काम कर रहे थे। पाकिस्तान के पास परमाणु बम नहीं था। कारगिल युद्ध तक भी भारत की सेना पाकिस्तान की तुलना में ज्यादा ताकतवर एवं आत्मनिर्भर थी।
1999 में पाकिस्तान परमाणु परिक्षण करके बराबरी पर आया। लेकिन बाद में सामरिक परमाणु बम बना लेने के कारण संतुलन काफी हद तक बदल चुका है। आज यदि भारत एवं पाकिस्तान का युद्ध होता है तो इन शर्तो के अधीन नताइज इस तरह के होंगे :
(1) यदि भारत-पाक अपने अपने हथियारों से लड़ते है
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1.1. इन्फेंट्री : फर्स्ट राउंड में पाकिस्तान की सेना हारने लगेगी। लेकिन तब वे भारत की सेना पर सामरिक बमों का इस्तेमाल करेंगे। भारत की सेना के पास सामरिक बम नहीं होने के कारण हमारे पास इसका कोई डिफेंड नहीं है। कृपया इस बात को नोट करें कि भारत के पास सामरिक परमाणु अस्त्र बनाने की तकनीक है, किन्तु भारत ने सामरिक बम बनाए नहीं है, और न ही इनका कभी परिक्षण हुआ है। पाकिस्तान ने 2014 में सामरिक बम बनाना शुरु कर दिए थे और वे ready to use है ।
भारत के पास सिर्फ परम्परागत परमाणु हथियार है। किन्तु इनका इस्तेमाल सेना पर नहीं किया जा सकता।
अमेरिका ने भारत के सांसदों को धमकाकर / घूस देकर 2008 में हमारा परमाणु कार्यक्रम बंद करवा दिया था। इस एग्रीमेंट के अनुसार यदि भारत अपना मिलिट्री परमाणु कार्यक्रम आगे बढाता है तो हमें पहले अमेरिका से अनुमति लेनी पड़ेगी। अब यदि हमें सामरिक परमाणु बम बनाने है तो भारत के पास 2 रास्ते है :
- भारत का प्रधानमंत्री अमेरिका से इसकी अनुमति ले, या
- 123 एग्रीमेंट केंसिल करने की इबारत गेजेट में छापे।
यदि भारत सामरिक परमाणु बम बनाना शुरू कर देता है तो 1 से 2 वर्ष में हम सामरिक बम बना सकते है। कृपया इसमें अपनी जेब से तीसरा विकल्प न जोड़े कि, पीएम अमेरिका से पूछे बिना भी तो बम बनाना शुरू कर सकता है। क्योंकि प्रेक्टिकलि ऐसा करने के लिए सेना का आत्मनिर्भर होना जरुरी होता है।
यदि आपको किसी देश की जमीन पर कब्ज़ा करना हो तो सामने वाले देश की सेना रूपी दीवार को तोडना होता है। इस दीवार को तोड़ने के लिए इन्फेंट्री चाहिए। और भारत की इन्फेंट्री पाकिस्तान की सीमा में तब तक नहीं घुस सकती जब तक पाकिस्तान की इन्फेंट्री सामरिक परमाणु बम से लैस है।
तो मान लीजिये कि मना करने के बावजूद भारत मिग-21* का इस्तेमाल करके हमले करता है और पाकिस्तान को काफी नुकसान दे देता है, तब भी भारत की इन्फेंट्री पाकिस्तान की जमीन पर बड़े पैमाने पर कब्ज़ा नहीं कर सकती। क्योंकि पाकिस्तान की इन्फेंट्री के पास सामरिक बम है। तो हम वायुसेना का इस्तेमाल करके उनके ठिकाने ध्वस्त कर सकते है, लेकिन टेक ओवर नहीं कर सकते।
(*) मिग-21 प्लेन काफी पुराने है और इस वजह से इसमें न तो किल स्विच है, और न ही इसको लेकर स्पेयर पार्ट्स की उतनी समस्या है। चूंकि भारत काफी सालो से मिग-21 इस्तेमाल कर रहा है अत: रूस ने इसके रूटीन स्पेयर पार्ट्स का डिजाइन भारत को दिया हुआ है और इनके उत्पादन की अनुमति भी दे रखी है। मलतब हम मिग-21 का इस्तेमाल रूस से बिना पूछे भी कर सकते है। पर इसमें जोखिम यह है कि रूस आगे से हमें मिग-29, सुखोई, आईएनएस विक्रमादित्य के स्पेयर पार्ट्स भी देना बंद कर देगा।
सामरिक परमाणु अस्त्र एवं परम्परागत परमाणु अस्त्र में क्या अंतर है इस बारे में इस जवाब में बिंदु संख्या 1.1 देखें - Pawan Kumar Sharma का जवाब - अगर पाकिस्तान ने आज भारत पर युद्ध की घोषणा की तो क्या होगा?
अब ऊपर जो मैंने स्थिति दी है उसे खारिज करने के लिए बुद्धिजीवी आपको निचे दिए गए क्रम में स्टोरी सुनायेंगे
- सबसे पहले तो वे यह कहेंगे कि सामरिक परमाणु बम नाम की कोई चीज नहीं होती है। परमाणु बम मतलब सिर्फ परमाणु बम होता है। और यह भारत के पास भी है और पाकिस्तान के पास भी है।
- इसके बाद वे कह देंगे कि जब युद्ध होगा तो पाकिस्तान हमारी सेना पर सामरिक बम नहीं चलाएगा
- पाकिस्तान ये बम चला भी देगा तो हमारी सेना इसके लिए कोई न कोई रणनीति निकाल लेगी।
- और अंत में कह देंगे कि भारत और पाकिस्तान का अब युद्ध नही होगा, और होगा भी तो परमाणु युद्ध नहीं होगा ।
- और फिर भी यदि आप कहेंगे कि युद्ध हो सकता है, तो व कहेंगे कि आप लोगो में भय फैला रहे हो !!
मतलब पेड मीडिया द्वारा दिया गया इस टाइप का काफी सारा सामान उनके झोले में पड़ा रहता है। वे एक एक करके निकालते जायेंगे और आपको देते जायेंगे, लेकिन वे किसी भी सूरत में इस बात का समर्थन नहीं करेंगे कि भारत को सामरिक बम बनाने शुरू करने चाहिए !!
1.2. वायु सेना : दोनों देशो को फाइटर प्लेन बनाने नहीं आते। दोनों देश इधर उधर से खरीद कर अपना काम चलाते है। फाइटर प्लेन सिर्फ 3 देश बनाते है
- अमेरिका-ब्रिटेन –फ़्रांस
- रूस
- चीन
यदि युद्ध शुरू होता है तो सबसे पहले भारत-पाकिस्तान के प्रधानमन्त्रियो को उपरोक्त देशो से संपर्क करना पड़ेगा। भारत के पास 2 विकल्प है – रूस एवं अमेरिका। पाकिस्तान के पास भी 2 ही विकल्प है – चीन एवं अमेरिका !!
यदि इन तीनो देशो ने साफ़ बोल दिया कि अभी कोई झमेला नहीं चाहिए, शान्ति रखो। तो बस ख़तम। अब यहाँ ध्यान देने की बात यह है कि, यदि ये देश STOP बोल देते है तो नए प्लेन तो छोड़िये 2-4 दिन से ज्यादा दोनों देश उन फाइटर प्लेन का भी इस्तेमाल नहीं कर पायेंगे, जो ख़रीदे जा चुके है । क्योंकि फाइटर प्लेन के साथ एंड यूज मोनिटरिंग एग्रीमेंट होता है।
मतलब इन्हें आप जबरदस्ती नहीं उड़ा सकते। और मना करने पर भी उड़ाओगे तो वे देश आइन्दा आपको स्पेयर पार्ट्स नहीं भेजेंगे। मतलब एक पॉइंट के बाद अमुक से लिए गए सारे फाइटर प्लेन हमारे लिए आगे के लिए भी बेकार हो जायेंगे, हम पर अन्तराष्ट्रीय न्यायालय में मुकदमा भी होगा कि हमने हथियार आयात समझौते का उलंघन किया है, आइन्दा हमें हथियार भी नहीं मिलेंगे और पेनल्टी के रूप में काफी मोटे डॉलर भी देने पड़ेंगे !! बिलकुल यही स्थिति पकिस्तान के साथ होगी।
किल स्विच एवं एंड यूज मोनिटरिंग के बारे में अधिक जानकारी के लिए यह जवाब पढ़े - Pawan Kumar Sharma का जवाब - आयातित हथियारों में किल स्विच क्या होते हैंं और इसके हमें क्या नुकसान हैं ?
1.3. नौ सेना : भारत नौ सैनिक हथियारों में पाकिस्तान से आगे है। किन्तु पनडुब्बियों और एयर क्राफ्ट कैरियर आदि फिर से रूसी है। मतलब इधर भी दोनों देश युद्ध लड़ने के लिए ऊपर दिए गए देशो पर निर्भर है। वैसे भी फाइटर प्लेन वगेरह न होने से नौ सेना की परास काफी घट जाती है।
(2) यदि अमेरिका भारत को हथियारों की पूरी मदद देता है :
तब मामला बहुत सीधा है। अमेरिका भारत को 50 ड्रोन और लेसर गाईडेड मिसाइले भेजेगा, और ये आयटम 2 – 3 दिन में ही पाकिस्तान की आधी मिलिट्री पॉवर तोड़ देंगे। पाकिस्तान के पास जो रडार और फाइटर प्लेन है, वे अमेरिकी है। अत: जब अमेरिकी ड्रोन / मिसाइले पाकिस्तान पर हमला करने जायेंगे तो ये रडार एवं फाईटर प्लेन काम करना बंद कर देंगे। मतलब, यदि अमेरिका भारत को हथियारों की मदद देना शुरू करता है और पाकिस्तान को कोई मदद नहीं देता है तो भारत हफ्ते भर में पाकिस्तान को पूरी तरह से ध्वस्त कर देगा। और भारत का इसमें कोई सैनिक नहीं मरेगा !!
अब यदि चीन पाकिस्तान को अर्जेंट में ड्रोन, फाईटर प्लेन देना शुरू करता है, तो पाकिस्तान लड़ाई थोड़ी लम्बी खींच सकता है, लेकिन बच तब भी नहीं पायेगा। क्योंकि अमेरिकी प्लेन, ड्रोन आदि चीन से काफी ज्यादा उन्नत है।
(3) यदि अमेरिका पाकिस्तान को हथियारों की मदद देता है :
यदि रूस हमें अर्जेंट में हथियार नहीं भेजता तो वही सब कुछ भारत के साथ होगा जो मैंने ऊपर वाले बिंदु में पाकिस्तान के लिए लिखा है। अब हमारे साथ समस्या यह है कि यदि भारत का पीएम अमेरिका के खिलाफ जाकर कोई क़ानून छापता है तो अमेरिका को पाकिस्तान को हथियार भेजकर इतना बड़ा झमेला करने की जरूरत नहीं है। क्योंकि भारत में अमेरिका अब इतना मजबूत हो चुका है कि, पीएम अमेरिकी हितो के खिलाफ नहीं जा सकता। उनका काम कहने भर से ही हो जाता है। वाजपेयी के समय बात और थी। तब भारत में पेड मीडिया एवं सोशल मीडिया अमेरिकी धनिकों के कंट्रोल में नहीं था। अत: वाजपेयी को कंट्रोल में लाने के लिए उन्हें पाकिस्तान को हथियार भेजकर कारगिल पर चढ़ाई करने को कहना पड़ा।
समाधान ?
भारत के पास विशाल मात्रा में प्राकृतिक संसाधन एवं सभी प्रकार के खनिज है। यदि हम निचे दिए गए 4 क़ानून छाप दें तो अगले 5-7 वर्षो में भारत की सेना को आत्मनिर्भर बना सकते है :
- भारत सामरिक बम बनाने का प्रोजेक्ट शुरू करे ।
- भारत में निजी क्षेत्र की कम्पनियो को हथियार निर्माण की अनुमति नहीं है !! यदि भारत में हथियारों के निर्माण हेतु लाइसेंस का क़ानून ख़त्म करके सिर्फ रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नीति लागू करने के लिए गेजेट में वोइक क़ानून छापना चाहिए ।
- फैक्ट्री मालिको अदालतों-थानों से बचाने के लिए जूरी कोर्ट कानून गजेटे में छापा जाए
- जीएसटी केंसल करके जमीन सस्ती करने के लिए प्रस्तावित रिक्त भूमि कर
क्या भारतीय सेना पाकिस्तानी सेना को 7 से 10 दिन में हरा पाएगी जैसा मोदी जी कहते हैं?
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मेरा अमूमन ट्रेक यही रहता है कि हमें नेताओं के भाषण, स्पीचे, इंटरव्यू, डायलॉग, बयान वगेरह कभी सुनने ही नहीं चाहिए । हमें सिर्फ यह देखना चाहिए कि, वह गेजेट में कौनसे क़ानून छाप रहे है ।
2015 में मैंने सांसद को SMS भेजा था कि पाकिस्तान सामरिक बम बना रहा है, अत: हमें भी बनाने शुरू करने चाहिए। 2016 में मोदी साहेब ने शरीफ से यह प्रोजेक्ट रोकने को कहा लेकिन शरीफ ने इनकार कर दिया। फिर मोदी साहेब ने अमेरिका से कहा कि वे पाकिस्तान पर दबाव बनाए कि वे सामरिक बम न बनाए, लेकिन पाकिस्तान ने साफ़ कर दिया कि सामरिक बमों का उत्पादन जारी रहेगा।
चूंकि भारत के पास सामरिक बम नहीं है और पाकिस्तान सामरिक बम बना रहा था तो हमारे पास सामरिक बमों का प्रोजेक्ट शुरु करने की वाजिब वजह मौजूद थी। यदि भारत भी सामरिक बम बनाने का प्रोजेक्ट शुरू कर देता तो अमेरिका-ब्रिटेन-फ़्रांस पर बहुत ज्यादा दबाव आता और या तो वे पाकिस्तान को रोक देते या फिर हम भी सामरिक बम बना लेते । मैंने 2016 में मोदी साहेब को ट्विट किया कि वे सामरिक बम का प्रोजेक्ट शुरू करे। 2018 में मैंने फिर से ट्विट किया कि सामरिक बम का प्रोजेक्ट शुरू करो। और हथियारों के निर्माण को लाइसेंस मुक्त करने के लिए कई बार बोल चुका हूँ। उन्होंने हमारी सेना को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक भी क़ानून नहीं छापा !!
अब तक मैं संघ=बीजेपी के हजारो कार्यकर्ताओ एवं मोदी साहेब के समर्थको को बोल चुका हूँ कि वे भी मोदी साहेब को इस बारे में ट्विट भेजे। किन्तु वे यह मांग करने से इंकार कर देते है। उनका कहना होता है कि इस तरह की मांग करने से संगठन की एकता भंग होती है। इसीलिए इस मुद्दे पर हमें कुछ बोलना नहीं है !! और इस दौरान ये सभी लोग सोशल मीडिया एवं पेड मीडिया पर पाकिस्तान की ऐसी तैसी करने के एलान भी चलाते रहते है।
इस तरह के एलान एवं बयानबाजी के चक्कर 6 वर्ष बर्बाद करने की जगह पर यदि वे सामरिक बम बनाने का प्रोजेक्ट शुरू करने का क़ानून छापते तो वास्तव में हमारी सेना की स्थिति सुधरती। शरीफ ने डायलॉग मारने की जगह क़ानून छापा और बम बना लिए !! यदि भारत के 5-7 लाख लोग भी गंभीरता से इस मांग को उठाना शुरू करें तो मोदी साहेब को यह फैसला लेने के लिए बाध्य किया जा सकता है ।